Skip to main content

बेहोशी - Unconsciousness


कुछ दिन पहले जुगन ने एक फ्रोम भरा। वह फ्रोम जॉब परीक्षा का था। उसने कई सालों से मेहनत की थी। इसलिए परीक्षा को‌ लेकर, वह काफी खुश था। सांची नामक स्थान में परीक्षा होने वाला था। एक दिन पहले वह सांची के‌ लिए निकला। वह बस से सफर करने लगा। कुछ घण्टों बाद वह सांची पहुंच गया। उसके बाद उसने परीक्षा भवन के लिए एक ओर बस पकड़ी। एक अनजान व्यक्ति जुगन के पास बैठा। बस चल पड़ी। वह व्यक्ति जुगन से बातचीत करने लगा। कुछ समय बाद जुगन को ऐसा लगा कि यह मेरा अच्छा दोस्त बन गया है। थोड़ी देर बाद वह व्यक्ति बिस्किट खाने‌ लगा और जुगन से कहां - भाई तुम भी एक बिस्किट लो। जुगन ने दोस्त समझकर, एक बिस्किट लिया और खाने लगा। कुछ देर बाद जुगन होश खो बैठा और सीट पर पड़ा रहा। जब बस रूकी। धीरे-धीरे यात्री उतरने लगे। उस व्यक्ति ने जुगन का पर्स, स्मार्टफोन और लेपटॉप लेकर, वहां से भाग गया। जब यात्री उतरने गए तो बस के कंडक्टर ने बस के पीछे नजर दौड़ाई। बस के पीछे वाले सीट में, अब भी एक आदमी था। वह जुगन था। बस कंडक्टर जुगन के पास आया। उसे हिलाया-डुलाया। उसपर पानी की छींटे मारी। परंतु फिर भी जुगन होश में न आया। जुगन अब भी बेहोशी की हालत में ही था। बस कंडक्टर और ड्राइवर थोड़े डर गए। उन्होंने जुगन को अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों के इलाज के बाद, जुगन को तीन दिन बाद होश आया। जुगन ने इधर - उधर देखा तो कंडक्टर पास में खड़े थे। कंडक्टर ने कहा - तुम्हारे घर का फोन नम्बर क्या है? जुगन ने फोन नम्बर बता दिया। कुछ घण्टे बाद उसके घरवाले अस्पताल पहुंचे। जुगन को उस धोखेबाज आदमी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। जुगन ने पास में पड़ी हुई, अखबार को लिया और पढ़ने लगा। वह एक खबर को पढ़कर चौंक गया। जिस धोखेबाज ने उसे लुटा था। वह कारागार में बंद था।

लघु कहानीकार
पंकज मोदक

A few days ago Jugan filled a frame. That was from the job exam. He had worked hard for many years. So, he was quite happy about the exam. The examination was going to be held in a place called Sanchi. A day before he left for Sanchi. He started traveling by bus. After a few hours he reached Sanchi. After that he caught another bus to the examination hall. An unknown person sat near Jugan. The bus moved. That person started talking to Jugan. After some time, Jugan felt that he had become my good friend. After some time, the person started eating the biscuit and said to Jugan - Brother, you also take a biscuit. Thinking of it as a friend, Jugan took a biscuit and started eating it. After some time, Jugan lost consciousness and remained lying on the seat. When the bus stopped. Slowly the passengers started disembarking. The man took Jugan's purse, smartphone and laptop and fled from there. When the passengers went to get down, the bus conductor looked behind the bus. There was still a man in the back seat of the bus. That was Jugan. The bus conductor came to Jugan. Shaked him. Splashed water on it. But still Jugan did not regain consciousness. Jugan was still in an unconscious state. The bus conductor and driver got a little scared. He admitted Jugan to the hospital. After treatment by doctors, Jugan regained consciousness after three days. When Jugan looked around, the conductor was standing nearby. The conductor said - What is your home phone number? Jugan told the phone number. After a few hours his family members reached the hospital. Jugan was very angry at that deceitful man. Jugan took the newspaper lying nearby and started reading. He was shocked to read a news. The fraudster who had robbed him. He was in jail.

Short story writer
Pankaj Modak

Popular posts from this blog

अनजान गांव - Unknown Village

सुनिदा जो कुछ दिनों पहले नयी शिक्षिका बनी। उसके खुशी का ठिकाना न था। वह बेहद खुश थी। परंतु वह जिस विद्यालय में नियुक्त हुई। वह शहर से काफी दूर था। दूसरे दिन। वह अपने पिता का आशीर्वाद लेकर निकल ही रही थी कि उसके पिता ने कहा - बेटी कुछ छुट्टे रूपये ले जाओं। तुम्हारे काम आएंगे। सुनिदा ने कहा - पिताजी बाहर किसी से छुट्टे रूपये ले लुंगी। उसके बाद वह घर से बाहर निकल गई। वह बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वह बस स्टॉप के पास पहुंची। उसने बस पकड़ी और विद्यालय की ओर चल पड़ी। उस विद्यालय के पहले एक अनजान गांव पड़ता हैं। जब सुनिदा ने विद्यालय का नाम स्मार्टफोन के नक्शे पर सर्च किया तो वह आ गया। परंतु विद्यालय से थोड़ी दूर पर स्थित उस अनजान गांव के बारे में नक्शे पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी या शायद किसी ने जानकारी नहीं छोड़ी थी। यह देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। कुछ घण्टे बाद वह बस उस गांव से गुजरने लगीं। सुनिदा ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो उसे थोड़ी घबराहट हुई। उस गांव में कोई दुकान न थी। बाहर बैठे लोग सुनिदा को ही देखें जा रहे थे। जैसै- उन लोगों की नजरें सिर्फ़ सुनिदा पर ही टिकी हुई हो।

कपूर का प्रभाव - Effect Of Camphor

मेरे पिताजी जिनका नाम शंकर था। उनका जन्म भारत देश के एक छोटे से गाँव चन्दाहा मे हुआ था। शंकर जी के पिताजी विजय जी बी. सी.सी.एल में कार्यरत थे। शंकर जी जब बारह वर्ष के थे। विजय जी नशे में धुत होकर आते और शंकर जी के माताजी सुमु देवी को काफी मारते-पीटते। यह देखकर शंकर जी उदास हो जाते थे। शंकर जी का एक दोस्त है- जिसका नाम नारायण था। वे एक ही कक्षा में थे और एक साथ पढ़ाई करते थे । उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में 10वीं पास की। उस समय चन्दाहा गाँव में गाड़ी की सम्भावना ना के बराबर थीं । उन दोनों ने, चास नामक प्रखंड के एक कॉलेज में नामांकण कराया। कॉलेज में कार्य पड़ने पर उन दोनों को 15 किलोमीटर पैदल चलकर वहाँ पहुँचन पड़ता था। शंकर जी के पाँच बहनें थीं। जो उनसे उम्र में बड़ी थी। उस समय चन्दाहा के आस-पास कोई कॉलेज न था। गाँव में बेलगाड़ी की सुविधा थी । परंतु उतने दूर न जाती थी। उन्होनें 18 वर्ष की उम्र में 12वीं की की परीक्षा उत्तीर्ण किया। अब वे दोनों पटना के एक विश्वविद्यालय में बी० ए० का नामांकण कराये । शंकर जी के पिताजी कभी - कबार ही काम पर जाया करते थे। बाकि दिन नशे में धुत रहते थे । इसलिए वे बहु

विलुप्त जीव - Extinct Creatures

पृथ्वी पर हरियाली छाई हुई थी। रोज की तरह लोग अपने‌ काम में जा रहे थे, आ रहे थे। एक दिन प्रसिद्ध विज्ञान संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की। जिसमें लिखा था - पेड़ों की संख्या हर वर्ष कम होती जा रही है। जिससे ओजोन परत की क्षति, वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है कि पेड़ अधिक से अधिक लगाएं और मनुष्य जीवन को बचाएं। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद बहुत लोगों ने इसे झूठ समझकर भूल गए, तो कुछ लोगों ने इसे सच मानकर थोड़े डर गए। कुछ दिनों बाद एक व्यक्ति अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा था। उसने वह रिपोर्ट पढ़ी। उसने मनुष्य जीवन की अच्छाई के लिए कुछ करने की सोची। वह प्रतिदिन एक पेड़ को रोपता। पानी देता और उस पौधे को देखकर उसका मन खुशी से खिल उठता। वह वर्ष में एक बार जगह-जगह जाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने, वायू प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने, पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल कम करने के बारे में लोगों को जागरूक करने की कोशिश करता। एक रात उस व्यक्ति के मन में एक ख्याल आया कि क्यों न चिड़ियाघरों में पिंजरों में बंद जीव-जंतुओं को आजाद किया जाए। ज