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फ्रैंक फोर्ट - Frank Fort


एक युवा सैनिक जिसकी उम्र लगभग बाइस वर्ष के आसपास थी। वह नया-नया फौज में आया हुआ था। उसका नाम फ्रैंक फोर्ट था। उसके माता-पिता नहीं थे। उसे एक गुरु ने पाला था। दो साल पहले उसके गुरू का देहान्त हो चुका था। परंतु गुरु द्वारा कहे हुए कुछ शब्द फ्रैंक फोर्ट को आज भी याद थे। गुरु ने कहा था- फ्रैंक सैनिक बनना बुरा नहीं, परंतु किसी को मारना बुरा है। तुम हमेशा अहिंसा में विश्वास रखना। फ्रैंक अपनी ड्यूटी बहुत ही मानदारी से करता था। दो देशों में जगह को लेकर विवाद शुरू होने लगता है। यह विवाद बढ़ते-बढ़ते युद्ध का रूप ले लेती है। दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो जाती है। युद्ध के समय फ्रैंक कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। जिसके कारण सभी को लगा कि फ्रैंक युद्ध का मैदान छोड़कर भाग गया है। परंतु ऐसा नहीं था। फ्रैंक उसी युद्ध के मैदान के थोड़ी दूरी पर छुपकर सैनिकों को देख रहा था कि कोई सैनिक जख्मी या घायल तो नहीं हो गया। उसने देखा कई सैनिक घायल हो गए हैं। दोनों तरफ से धड़ाधड़ गोलियां चल रही थी। फ्रैंक अपनी जान की फिक्र न करते हुए घायल सैनिक को कंधे पर उठाकर कुछ दूरी पर मौजूद आर्मी कैंप पर ले जाने लगा। जहाँ पर आर्मी डॉक्टर मौजूद थे। वह इसी तरह जख्मी और घायल सैनिकों को कंधे पर उठाकर लाने का काम करता रहा। उसने दस से अधिक सैनिकों को डॉक्टर के पास पहुंचाया। वह बहुत थक चुका था। वह थकान के बावजूद किसी और घायल सैनिक को लेने के लिए दौड़ा। इस बार एक गोली सीधे फ्रैंक के सिर के सामने से गुजर गई। थकान के कारण फ्रैंक जमीन पर गिर पड़ा। सबकों लगा फ्रैंक को सिर पर गोली लगी है और वह मृत्यु को प्राप्त हो गया है। फ्रैंक कई घंटो तक उसी जमीन पर पड़ा रहा। उधर दोनों देशों के सैकडों सैनिक अपनी जान गवा चुके थे। इस युद्ध के कारण दोनों देशों को नुकसान हो रहा था। दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार भी बंद हो चुका था। इसलिए दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने सुलह करने का फैसला किया। युद्ध समाप्त हुआ। दोनों देशों मैं व्यापार फिर से शुरू हो गया। जमीन पर पड़े हुए सैनिकों को उठाया जाने लगा। फ्रैंक अभी भी पड़ा हुआ था। जब फ्रैंक को उठाया जाने लगा तब उन्हें पता चला कि फ्रैंक की सांसे और धड़कन चल रही थी। फ्रैंक को डॉक्टर के पास ले जाया गया। डॉक्टर ने कुछ देर जाँच करने के बाद कहा- फ्रैंक अधिक थकान की वजह से बेहोश हो गया था। बाकि सब ठीक है। फ्रैंक बैड पर लेटे हुए अपने गुरु द्वारा कहे हुए एक और बात को सोचने लगा। उसके गुरू ने कहा था कि तुम किसी की बचाओगे तो भगवान तुम्हें बचाएगें।

लघु कहानीकार
पंकज मोदक

A young soldier who was around twenty two years of age. He had just joined the army. His name was Frank Fort. He didn't have parents. He was brought up by a guru. His teacher had passed away two years back. But Frank Fort still remembered some words said by the Guru. Guru had said- It is not bad to be a frank soldier, but it is bad to kill someone. You always believe in non-violence. Frank used to do his duty very honorably. The dispute over the place starts between the two countries. This dispute takes the form of an increasing war. A war starts between the two countries. Frank was nowhere to be seen during the war. Due to which everyone thought that Frank had fled the battlefield. But it was not. Frank was watching the soldiers hiding at a distance of the same battlefield to see if any soldier was injured or injured. He saw that many soldiers were injured. There was a lot of firing from both the sides. Without worrying about his life, Frank started carrying the injured soldier on his shoulder to the army camp at some distance. Where army doctors were present. In the same way, he continued to carry the wounded and injured soldiers on his shoulders. He took more than ten soldiers to the doctor. He was very tired. Despite his fatigue, he ran to pick up another wounded soldier. This time a bullet went straight through the front of Frank's head. Frank collapses on the ground due to exhaustion. Everyone thinks Frank has been shot in the head and is about to die. Frank lay on the same ground for several hours. On the other hand, hundreds of soldiers of both the countries had lost their lives. Due to this war both the countries were suffering losses. The trade between the two countries had also stopped. So the presidents of both the countries decided to reconcile. The war ended. Trade resumed in both the countries. The soldiers lying on the ground started being picked up. Frank was still lying. When Frank was lifted up, they found that Frank was breathing and beating. Frank was taken to the doctor. After examining for some time, the doctor said – Frank had fainted due to excessive fatigue. Everything else is fine. Frank, lying on the bed, began to think about another thing that his master had said. His teacher had said that if you save someone then God will save you. 

Short story writer
Pankaj Modak 

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