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डरावनी औरत - Scary Woman


हमारे घर के पड़ोस में रहने वाले घर में शादी थी। उनके यहां मेरे द्वारा किए हुए काम से खुश होकर उन्होनें मुझे एक पेंसिल का पैकेट दिया। पेंसिल का पैकेट पाकर में खुशी-खुशी अपने घर की ओर बढ़ रहा था। मैं घर पहुंचा और सीढ़ियों से होते हुए दो मंजिले पर स्थित कमरे की ओर बढ़ने लगा। कमरे में पहुँचकर मेरी नजर फर्श पर गई। जहां पर खून लगा हुआ था देखने पर ऐसा लग रहा था मानो किसी ने किसी को यहाँ से घसीटते हुए ले गया हो। में खून को देखते हुए आगे बढने लगा। फर्श पर मौजूद खून जहां पर समाप्त हुआ है वहां पर मैंने पलंग पर चढ़कर देखा। वहां पर खून से लथपथ एक आदमी के लाश के ऊपर एक औरत थी जो छुपने की कोशिश कर रही थी। में वहां से भागा और हांफते हुए अपने घरवालों को बुलाया। वे कमरे में पहुंचे दूसरी बार जब मैंने उस जगह पर देखा तो वह औरत वहां पर नहीं थी। परंतु उस आदमी की लाश वहीं पर पड़ी हुई थी। मैंने कमरे के बायीं तरफ मौजूद गली में देखने लगा। उस औरत ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखी। में बहुत ज्याद डर गया मैंने कहा- हूँ! हूँ! इतने सारे लोगों को देखकर वह औरत पास में मौजूद खिड़की से कूदने की कोशिश करने लगी। तभी मैनें उसका एक पैर पकड़ लिया। उसके बाद मेरे कानों में एक आवाज आई क्या हुआ? मेरी नींद खल गई। उसके बाद मुझे पता चला यह मात्र एक सपना था।

लघु कहानीकार
पंकज मोदक 

There was a wedding in the house next door to ours. Pleased with the work I had done at his place, he gave me a packet of pencils. After getting the packet of pencils, he was happily moving towards his house. I reached home and went through the stairs to the room on the second floor. On reaching the room, my eyes went to the floor. On seeing where there was blood, it seemed as if someone had dragged someone from here. Seeing the blood, I started moving forward. I climbed on the bed and saw where the blood on the floor had ended. There was a woman trying to hide over the corpse of a man covered in blood. I ran from there and gasping for breath called my family members. They reached the room the second time I looked at the place the woman was not there. But the dead body of that man was lying there. I started looking in the street on the left side of the room. The woman put her hand on my shoulder from behind. I was very scared, I said - yes! am! Seeing so many people, the woman tried to jump from the nearby window. Then I caught hold of one of his legs. After that a voice came in my ears what happened? I lost my sleep. After that I came to know that it was just a dream.

Short story writer
Pankaj Modak 

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अनजान गांव - Unknown Village

सुनिदा जो कुछ दिनों पहले नयी शिक्षिका बनी। उसके खुशी का ठिकाना न था। वह बेहद खुश थी। परंतु वह जिस विद्यालय में नियुक्त हुई। वह शहर से काफी दूर था। दूसरे दिन। वह अपने पिता का आशीर्वाद लेकर निकल ही रही थी कि उसके पिता ने कहा - बेटी कुछ छुट्टे रूपये ले जाओं। तुम्हारे काम आएंगे। सुनिदा ने कहा - पिताजी बाहर किसी से छुट्टे रूपये ले लुंगी। उसके बाद वह घर से बाहर निकल गई। वह बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वह बस स्टॉप के पास पहुंची। उसने बस पकड़ी और विद्यालय की ओर चल पड़ी। उस विद्यालय के पहले एक अनजान गांव पड़ता हैं। जब सुनिदा ने विद्यालय का नाम स्मार्टफोन के नक्शे पर सर्च किया तो वह आ गया। परंतु विद्यालय से थोड़ी दूर पर स्थित उस अनजान गांव के बारे में नक्शे पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी या शायद किसी ने जानकारी नहीं छोड़ी थी। यह देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। कुछ घण्टे बाद वह बस उस गांव से गुजरने लगीं। सुनिदा ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो उसे थोड़ी घबराहट हुई। उस गांव में कोई दुकान न थी। बाहर बैठे लोग सुनिदा को ही देखें जा रहे थे। जैसै- उन लोगों की नजरें सिर्फ़ सुनिदा पर ही टिकी हुई हो।

कपूर का प्रभाव - Effect Of Camphor

मेरे पिताजी जिनका नाम शंकर था। उनका जन्म भारत देश के एक छोटे से गाँव चन्दाहा मे हुआ था। शंकर जी के पिताजी विजय जी बी. सी.सी.एल में कार्यरत थे। शंकर जी जब बारह वर्ष के थे। विजय जी नशे में धुत होकर आते और शंकर जी के माताजी सुमु देवी को काफी मारते-पीटते। यह देखकर शंकर जी उदास हो जाते थे। शंकर जी का एक दोस्त है- जिसका नाम नारायण था। वे एक ही कक्षा में थे और एक साथ पढ़ाई करते थे । उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में 10वीं पास की। उस समय चन्दाहा गाँव में गाड़ी की सम्भावना ना के बराबर थीं । उन दोनों ने, चास नामक प्रखंड के एक कॉलेज में नामांकण कराया। कॉलेज में कार्य पड़ने पर उन दोनों को 15 किलोमीटर पैदल चलकर वहाँ पहुँचन पड़ता था। शंकर जी के पाँच बहनें थीं। जो उनसे उम्र में बड़ी थी। उस समय चन्दाहा के आस-पास कोई कॉलेज न था। गाँव में बेलगाड़ी की सुविधा थी । परंतु उतने दूर न जाती थी। उन्होनें 18 वर्ष की उम्र में 12वीं की की परीक्षा उत्तीर्ण किया। अब वे दोनों पटना के एक विश्वविद्यालय में बी० ए० का नामांकण कराये । शंकर जी के पिताजी कभी - कबार ही काम पर जाया करते थे। बाकि दिन नशे में धुत रहते थे । इसलिए वे बहु

विलुप्त जीव - Extinct Creatures

पृथ्वी पर हरियाली छाई हुई थी। रोज की तरह लोग अपने‌ काम में जा रहे थे, आ रहे थे। एक दिन प्रसिद्ध विज्ञान संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की। जिसमें लिखा था - पेड़ों की संख्या हर वर्ष कम होती जा रही है। जिससे ओजोन परत की क्षति, वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है कि पेड़ अधिक से अधिक लगाएं और मनुष्य जीवन को बचाएं। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद बहुत लोगों ने इसे झूठ समझकर भूल गए, तो कुछ लोगों ने इसे सच मानकर थोड़े डर गए। कुछ दिनों बाद एक व्यक्ति अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा था। उसने वह रिपोर्ट पढ़ी। उसने मनुष्य जीवन की अच्छाई के लिए कुछ करने की सोची। वह प्रतिदिन एक पेड़ को रोपता। पानी देता और उस पौधे को देखकर उसका मन खुशी से खिल उठता। वह वर्ष में एक बार जगह-जगह जाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने, वायू प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने, पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल कम करने के बारे में लोगों को जागरूक करने की कोशिश करता। एक रात उस व्यक्ति के मन में एक ख्याल आया कि क्यों न चिड़ियाघरों में पिंजरों में बंद जीव-जंतुओं को आजाद किया जाए। ज