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शरारत (Prank)


एक यूट्यूबर जिसका नाम जनव था। वह अपने यूट्यूब चैनल पर शरारत वाली वीडियोज अपलोड करता रहता था। जिसके कारण लोगों को काफी समस्या होती थी। उसके द्वारा शरारत करने के कारण बहुत सारे लोग शरारत समझकर जरूरतमंद लोगों की मदद भी नहीं करते थे। उसे लोगों से‌ कई बार‌ गालियाँ भी‌ पड़ती। परंतु वह सुधरने का नाम न लेता। परंतु जनव अपने चैनल द्वारा कमाया हुआ रूपये का पचास प्रतिशत‌ अनाथ आश्रम के बच्चों के लिए दान कर देता था। जिसके कारण आश्रम के बच्चें उसे प्रणाम करते और दुआएं देते। एक बार रात के समय जनव शरारत वाली वीडियो बनाने की योजना बना रहा था। उस रात वहां पर एक छोटी ब्लब जल रही थी। दो आदमी बाईक पर सवार होकर आ रहे थे। सड़क के उस स्थान पर गतिरोधक मौजूद थीं। पीछे बैठे हुए आदमी के पास सुरक्षा के लिए एक पिस्टल मौजूद थी। वे धीरे से आ रहे थे। तभी जनव रात के अंधरे में डरावनी कॉस्टूम पहनकर उनके सामने प्रकट हो गया और उनके पास बढ़ने लगा। दोनों आदमी बेहद डर गये। वहां पर बाइक की लाईट और मात्र एक छोटी सी बल्ब जल रही थी। बाईक के पीछे बैठा हुआ आदमी इतना डर गया था कि उसने अपने पिस्टल से उस पर लगातार तीन गोलियाँ दाग दी। यह सब देखकर कैमरामैन वहाँ से दुम-दबाके भाग निकला। जनव नीचे गिर पड़ा। वे आदमी बाईक पर सवार होकर तेज गति से वहां से भाग निकले। आखरी समय में जनव अपने माता-पिता को याद करने लगा। याद करते हुए अनायास ही उसके आँखों से आँसू झलक आये। वह वहीं पर पड़ा हुआ अपनी चंद साँसे गिन रहा था। तभी वहां पर एक पुलिस अधिकारियों की जीप गुजर रही थी। पुलिस अधिकारियों ने उसे देखा। अधिकारियों ने देरी ना करते हुए जनव को अस्पताल में भर्ती कराया। कुछ समय बाद उसके माता-पिता अस्पताल पहुँचे। मां अपने बेटे के लिए निरंतर रोये जा रही थी। सुबह हुई। डॉक्टर ने कहा- वह अब ठीक है। आप यह दवाईयां ले आइए। जनव के पिता दवाईयाँ लेने चले गये। जनव की माँ ने सोचा। में कुछ खाने की‌ चीजें लेकर आती हूँ। यह सोचकर माँ खाने की चीजें लेने बाजार चली गई। धूप हर-तरफ छायी हुई थी। मां खाना लेकर आ रही थी। तभी अधिक उदासी, चिंता, थकान और अनिद्रा के कारण उन्हें हृदयघात हुआ। वे अपने हाथ से छाती को पकड़कर नीचे गिर पड़ी। शहर में शरारत इतना ज्यादा हो रहा था कि सब लोगों ने सोचा। वह भी अपने बेटे की तरह शरारत कर रही है और किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। आधे घण्टे बाद पिता अपनी पत्नी को खोजते-खोजते वहां पहुंचे। पिता ने उन्हें उठाकर एक गाड़ी की सहायता से अस्पताल ले गए। कुछ समय डॉक्टरों के जाँच करने के बाद डॉक्टर ने कहा- सी ईज नो मोर। डॉक्टर ने सॉरी कहते हुए कहा- आप कुछ देर पहले इसे ले आते तो वह बच सकती थी। अपनी माँ की मृत्यु की खबर पाकर बैड पर लेटे हुए जनव की आँखों से आंसू आने लगे। कुछ महीनें बाद जनव पूरी तरह स्वस्थ हो गया। कुछ दिनों बाद जब जनव को पता चला कि उसके घटिया शरारत की वजह से उसकी मां की जान गई है तो वह अपना सिर पकड़कर फूट-फूटकर रोने लगा। उसके बाद जनव शरारत वाली वीडियोज बनाना छोड़कर कॉमेडी वाली वीडियोज बनाना शुरु कर दिया। कुछ सालों बाद कॉमेडी की वजह से उसे खूब प्रसिद्धी मिली। कभी कबार जनव अपनी मां को याद करता हुआ गम में डूब जाता। परंतु वह आज खुद गम मे डूबकर करोड़ों लोगों को हँसा रहा था।

लघु कहानीकार
पंकज मोदक

A YouTuber named Janav. He used to upload mischief videos on his YouTube channel. Due to which people faced a lot of problems. Because of the mischief he did, many people thought it was mischief and did not even help the needy people. He also faced abuses from people many times. But he makes no mention of improving. But Janav used to donate fifty percent of the money earned through his channel to the children of the orphanage. Due to which the children of the ashram saluted him and gave him blessings. Once at night Janav was planning to make a prank video. That night a small bulb was burning there. Two men were coming riding on a bike. There were speed breakers at that spot on the road. The man sitting behind had a pistol for protection. They were coming slowly. Then Janav appeared in front of them in the darkness of the night wearing a scary costume and started moving towards them. Both men were extremely scared. There the bike light and only one small bulb were burning. The man sitting behind the bike was so scared that he fired three consecutive bullets at her from his pistol. Seeing all this the cameraman ran away from there. Janav fell down. Those men fled from there at high speed on a bike. In his last moments, Janav started remembering his parents. While remembering, tears appeared in his eyes involuntarily. He was lying there counting his few breaths. Just then a jeep of police officers was passing there. The police officers saw him. Without any delay, the officials admitted Janav to the hospital. After some time his parents reached the hospital. The mother was crying continuously for her son. It's morning. The doctor said- He is fine now. You bring these medicines. Janav's father went to get medicines. Janav's mother thought. I will bring some food items. Thinking this, mother went to the market to buy food items. Sunshine was everywhere. Mother was bringing food. Then due to excessive sadness, anxiety, fatigue and insomnia he suffered a heart attack. She fell down holding her chest with her hand. There was so much mischief happening in the city that everyone thought. She is also doing mischief like her son and no one helped her. After half an hour the father reached there searching for his wife. The father picked him up and took him to the hospital with the help of a car. After examining the doctors for some time, the doctor said – See it no more. The doctor said sorry and said - If you had brought her a little earlier, she could have been saved. After receiving the news of his mother's death, tears started flowing from Janav's eyes while lying on the bed. After a few months, Janav became completely healthy. After a few days, when Janav came to know that because of his mean prank his mother had lost his life, he started crying bitterly, holding his head. After that, Janav stopped making mischief videos and started making comedy videos. After a few years, he got a lot of fame because of comedy. Sometimes Janav would get drowned in sorrow remembering his mother. But today he himself was making millions of people laugh despite being immersed in sorrow.

Short story writer
Pankaj Modak

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अनजान गांव (Unknown Village)

सुनिदा जो कुछ दिनों पहले नयी शिक्षिका बनी। उसके खुशी का ठिकाना न था। वह बेहद खुश थी। परंतु वह जिस विद्यालय में नियुक्त हुई। वह शहर से काफी दूर था। दूसरे दिन। वह अपने पिता का आशीर्वाद लेकर निकल ही रही थी कि उसके पिता ने कहा - बेटी कुछ छुट्टे रूपये ले जाओं। तुम्हारे काम आएंगे। सुनिदा ने कहा - पिताजी बाहर किसी से छुट्टे रूपये ले लुंगी। उसके बाद वह घर से बाहर निकल गई। वह बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वह बस स्टॉप के पास पहुंची। उसने बस पकड़ी और विद्यालय की ओर चल पड़ी। उस विद्यालय के पहले एक अनजान गांव पड़ता हैं। जब सुनिदा ने विद्यालय का नाम स्मार्टफोन के नक्शे पर सर्च किया तो वह आ गया। परंतु विद्यालय से थोड़ी दूर पर स्थित उस अनजान गांव के बारे में नक्शे पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी या शायद किसी ने जानकारी नहीं छोड़ी थी। यह देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। कुछ घण्टे बाद वह बस उस गांव से गुजरने लगीं। सुनिदा ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो उसे थोड़ी घबराहट हुई। उस गांव में कोई दुकान न थी। बाहर बैठे लोग सुनिदा को ही देखें जा रहे थे। जैसै- उन लोगों की नजरें सिर्फ़ सुनिदा पर ही टिकी हुई हो।

कपूर का प्रभाव (Effect Of Camphor)

मेरे पिताजी जिनका नाम शंकर था। उनका जन्म भारत देश के एक छोटे से गाँव चन्दाहा मे हुआ था। शंकर जी के पिताजी विजय जी बी. सी.सी.एल में कार्यरत थे। शंकर जी जब बारह वर्ष के थे। विजय जी नशे में धुत होकर आते और शंकर जी के माताजी सुमु देवी को काफी मारते-पीटते। यह देखकर शंकर जी उदास हो जाते थे। शंकर जी का एक दोस्त है- जिसका नाम नारायण था। वे एक ही कक्षा में थे और एक साथ पढ़ाई करते थे । उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में 10वीं पास की। उस समय चन्दाहा गाँव में गाड़ी की सम्भावना ना के बराबर थीं । उन दोनों ने, चास नामक प्रखंड के एक कॉलेज में नामांकण कराया। कॉलेज में कार्य पड़ने पर उन दोनों को 15 किलोमीटर पैदल चलकर वहाँ पहुँचन पड़ता था। शंकर जी के पाँच बहनें थीं। जो उनसे उम्र में बड़ी थी। उस समय चन्दाहा के आस-पास कोई कॉलेज न था। गाँव में बेलगाड़ी की सुविधा थी । परंतु उतने दूर न जाती थी। उन्होनें 18 वर्ष की उम्र में 12वीं की की परीक्षा उत्तीर्ण किया। अब वे दोनों पटना के एक विश्वविद्यालय में बी० ए० का नामांकण कराये । शंकर जी के पिताजी कभी - कबार ही काम पर जाया करते थे। बाकि दिन नशे में धुत रहते थे । इसलिए वे बहु

विलुप्त जीव (Extinct Creatures)

पृथ्वी पर हरियाली छाई हुई थी। रोज की तरह लोग अपने‌ काम में जा रहे थे, आ रहे थे। एक दिन प्रसिद्ध विज्ञान संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की। जिसमें लिखा था - पेड़ों की संख्या हर वर्ष कम होती जा रही है। जिससे ओजोन परत की क्षति, वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है कि पेड़ अधिक से अधिक लगाएं और मनुष्य जीवन को बचाएं। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद बहुत लोगों ने इसे झूठ समझकर भूल गए, तो कुछ लोगों ने इसे सच मानकर थोड़े डर गए। कुछ दिनों बाद एक व्यक्ति अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा था। उसने वह रिपोर्ट पढ़ी। उसने मनुष्य जीवन की अच्छाई के लिए कुछ करने की सोची। वह प्रतिदिन एक पेड़ को रोपता। पानी देता और उस पौधे को देखकर उसका मन खुशी से खिल उठता। वह वर्ष में एक बार जगह-जगह जाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने, वायू प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने, पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल कम करने के बारे में लोगों को जागरूक करने की कोशिश करता। एक रात उस व्यक्ति के मन में एक ख्याल आया कि क्यों न चिड़ियाघरों में पिंजरों में बंद जीव-जंतुओं को आजाद किया जाए। ज