Skip to main content

चूहा द्वीप (The Rat Island)


देश के लोग चूहों से होने वाले नुकसान से परेशान थी। उस देश के सरकार को एक समाधान सूझा। चूहों से छुटकारा पाने का। समाधान के तहत सरकार ने कहा- देश में मौजुद चूहों को एक आईलैंड पर छोड़ दिए जाएंगे। विदेशी भी इस आईलैंड पर भारी मात्रा में चूहों को छोड़ सकते है। सिर्फ उन्हें थोड़ा भुगतान‌ करना होगा। धीरे-धीरे उस आइलैंड पर चूहों को छोड़ा जाने लगा। कुछ महीने तो सब ठीक ठाक रहा। परंतु वक्त बीतने के साथ उस आईलैंड पर चूहों की संख्या लाख से भी ज्यादा हो गई‌ और उनकी संख्या और बढ़ती चली गयी। वह आइलैंड मात्र कुछ किलोमीटर में फैला हुआ था। सरकार ने उन्हें मानो मरने के लिए छोड़ दिया था। उस आईलैंड पर न चावल थे और न गेहूँ। वहां पर कुछ नारियल के पेड़ थे और दूर तक फैला हुआ रेत। खाने की कमी और काफी अधिक संख्या के कारण चूहें भुख से पागल से हो गए। लाखों की संख्या में मौजूद चुहों ने उस आईलैंड पर रहने वाले अन्य जीवों को कुतर डाला और कुछ चुहें तो अपने ही शरीर के कुछ हिस्सों को कुतर रहे थे। चूहों को छोड़ने वाली एक टीम वहां पहुंची। वहां का दृश्य देखकर वे काफी घबरा गये। लाखों की तादाद में चूहे उस टीम की ओर गुस्से से देख रही थी। लाखों चूहे उनपर हमला करने के लिए आगे बढ़ी। वे लोग भागने की कोशिश करने लगे। परंतु तबतक लाखों चूहों ने उनपर हमला कर दिया और कुतरना शुरू किया। वे जोर जोर से चिल्लाने लगे। कुछ देर बाद चिल्लाहट बंद हो गई। सरकार ने आईलैंड पर चूहों को छोड़ने पर पाबंदी लगा दी और सरकार को मजबुरन उस आईलैंड में जाने पर पुरी तरह से प्रतिबंध लगाना पड़ा। वह आइलैंड चूहा द्वीप के नाम से मशहुर हो गया। परंतु इस घटना के कुछ दिनों बाद उस आइलैंड पर भयंकर तुफान आया और अधिक संख्या में चूहें मारें गए। परंतु कुछ चूहें जो पागल नहीं हुए थे और अच्छे थे। जिन्होंने किसी तरह नारियल के पत्तों को खाकर अपना पेट भरा था। वे बहते हुए, किसी तरह किनारे पर पहुंच गए। जलस्तर बढ़ने के कारण वह आइलैंड समंदर में समा गया।

लघु कहानीकार
पंकज मोदक 

The people of the country were worried about the damage caused by rats. The government of that country thought of a solution. To get rid of rats. As part of the solution, the government said that the rats present in the country will be left on an island. Foreigners can also release rats in large quantities on this island. They will just have to pay a little. Gradually rats started being released on that island. Everything went well for a few months. But with the passage of time, the number of rats on that island increased to more than one lakh and their number kept increasing. That island was spread over only a few kilometers. It was as if the government had left him to die. There was neither rice nor wheat on that island. There were a few coconut trees there and sand spread far away. Due to lack of food and large numbers of rats, they went crazy with hunger. Millions of rats were gnawing on other creatures living on that island and some rats were even gnawing on some parts of their own bodies. A team to release the rats reached there. They became very frightened after seeing the scene there. Millions of rats were looking angrily at that team. Millions of rats moved forward to attack them. They started trying to run away. But by then lakhs of rats attacked them and started gnawing. They started shouting loudly. After some time the shouting stopped. The government banned the release of rats on the island and was forced to impose a complete ban on visiting the island. That island became famous by the name of The Rat Island. But a few days after this incident, a terrible storm hit the island and a large number of rats were killed. But there were some rats that did not go mad and were fine. Who somehow filled his stomach by eating coconut leaves. They drifted and somehow reached the shore. Due to rising water level the island got submerged in the sea.

Short story writer
Pankaj Modak

Popular posts from this blog

अनजान गांव - Unknown Village

सुनिदा जो कुछ दिनों पहले नयी शिक्षिका बनी। उसके खुशी का ठिकाना न था। वह बेहद खुश थी। परंतु वह जिस विद्यालय में नियुक्त हुई। वह शहर से काफी दूर था। दूसरे दिन। वह अपने पिता का आशीर्वाद लेकर निकल ही रही थी कि उसके पिता ने कहा - बेटी कुछ छुट्टे रूपये ले जाओं। तुम्हारे काम आएंगे। सुनिदा ने कहा - पिताजी बाहर किसी से छुट्टे रूपये ले लुंगी। उसके बाद वह घर से बाहर निकल गई। वह बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वह बस स्टॉप के पास पहुंची। उसने बस पकड़ी और विद्यालय की ओर चल पड़ी। उस विद्यालय के पहले एक अनजान गांव पड़ता हैं। जब सुनिदा ने विद्यालय का नाम स्मार्टफोन के नक्शे पर सर्च किया तो वह आ गया। परंतु विद्यालय से थोड़ी दूर पर स्थित उस अनजान गांव के बारे में नक्शे पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी या शायद किसी ने जानकारी नहीं छोड़ी थी। यह देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। कुछ घण्टे बाद वह बस उस गांव से गुजरने लगीं। सुनिदा ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो उसे थोड़ी घबराहट हुई। उस गांव में कोई दुकान न थी। बाहर बैठे लोग सुनिदा को ही देखें जा रहे थे। जैसै- उन लोगों की नजरें सिर्फ़ सुनिदा पर ही टिकी हुई हो।

कपूर का प्रभाव - Effect Of Camphor

मेरे पिताजी जिनका नाम शंकर था। उनका जन्म भारत देश के एक छोटे से गाँव चन्दाहा मे हुआ था। शंकर जी के पिताजी विजय जी बी. सी.सी.एल में कार्यरत थे। शंकर जी जब बारह वर्ष के थे। विजय जी नशे में धुत होकर आते और शंकर जी के माताजी सुमु देवी को काफी मारते-पीटते। यह देखकर शंकर जी उदास हो जाते थे। शंकर जी का एक दोस्त है- जिसका नाम नारायण था। वे एक ही कक्षा में थे और एक साथ पढ़ाई करते थे । उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में 10वीं पास की। उस समय चन्दाहा गाँव में गाड़ी की सम्भावना ना के बराबर थीं । उन दोनों ने, चास नामक प्रखंड के एक कॉलेज में नामांकण कराया। कॉलेज में कार्य पड़ने पर उन दोनों को 15 किलोमीटर पैदल चलकर वहाँ पहुँचन पड़ता था। शंकर जी के पाँच बहनें थीं। जो उनसे उम्र में बड़ी थी। उस समय चन्दाहा के आस-पास कोई कॉलेज न था। गाँव में बेलगाड़ी की सुविधा थी । परंतु उतने दूर न जाती थी। उन्होनें 18 वर्ष की उम्र में 12वीं की की परीक्षा उत्तीर्ण किया। अब वे दोनों पटना के एक विश्वविद्यालय में बी० ए० का नामांकण कराये । शंकर जी के पिताजी कभी - कबार ही काम पर जाया करते थे। बाकि दिन नशे में धुत रहते थे । इसलिए वे बहु

विलुप्त जीव - Extinct Creatures

पृथ्वी पर हरियाली छाई हुई थी। रोज की तरह लोग अपने‌ काम में जा रहे थे, आ रहे थे। एक दिन प्रसिद्ध विज्ञान संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की। जिसमें लिखा था - पेड़ों की संख्या हर वर्ष कम होती जा रही है। जिससे ओजोन परत की क्षति, वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है कि पेड़ अधिक से अधिक लगाएं और मनुष्य जीवन को बचाएं। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद बहुत लोगों ने इसे झूठ समझकर भूल गए, तो कुछ लोगों ने इसे सच मानकर थोड़े डर गए। कुछ दिनों बाद एक व्यक्ति अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा था। उसने वह रिपोर्ट पढ़ी। उसने मनुष्य जीवन की अच्छाई के लिए कुछ करने की सोची। वह प्रतिदिन एक पेड़ को रोपता। पानी देता और उस पौधे को देखकर उसका मन खुशी से खिल उठता। वह वर्ष में एक बार जगह-जगह जाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने, वायू प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने, पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल कम करने के बारे में लोगों को जागरूक करने की कोशिश करता। एक रात उस व्यक्ति के मन में एक ख्याल आया कि क्यों न चिड़ियाघरों में पिंजरों में बंद जीव-जंतुओं को आजाद किया जाए। ज