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जीने की चाह (Dying To Live)


मेरे परनाना जिनका नाम मोतीलाल था। वे झारखंड में स्थित चन्दाहा गांव में रहते थे। उनकी तीन बेटियां थी। एक का नाम- सुमु, दुसरे का नाम- आशा और तीसरे का नाम- बेली। बड़ी और मंझली बहन की शादी एक घर के दो भाइयों के साथ और छोटी बहन की शादी भोजुडीह नामक जगह में रहने वाले एक नौजवान से हुई। कई साल बीत जाने के बाद भी आशा जी की कोई संतान नहीं हुई। आशा जी अपने बड़ी बहन के बेटे और बेटियों को अपनी संतानों की तरह मानते और उनसे स्नेह करते। आशा जी के पति को एक गंभीर बीमारी हो गई थी। जिसके कारण वे अधिक साल तक बच न सके। अब वह अकेली हो गई थी। परंतु उन्होंने जीने की चाह नहीं छोड़ी और जीवन को अच्छें से जीने का‌ फैसला किया। वह अपनी बड़ी बहन के साथ रहने लगी। उनके पास पहले से एक गाय थी। उन्होंने एक-दों बकरियां खरीद ली। कुछ दिनों बाद वह चावल से खजाड़ी बनाने लगी और बेचने लगी। खजाड़ी बेचने से मिलने वाले रुपयों को इक्ट्ठा करने‌ लगी।‌ कई साल बाद जब काफी रुपये इक्ट्ठा हो जाते तो वह अन्य महिलाओं के साथ दूर दराजों में स्थित मंदिरों में घूमने और पूजा करने जाती। पहली यात्रा उन्होंने झारखंड से तमिलनाडू तक की यात्रा की। जहां पर कई भव्य मंदिर स्थित थे। दूसरी यात्रा उन्होंने झारखंड से उत्तर प्रदेश तक की यात्रा की। जहां पर काशी नामक मंदिर स्थित था। तीसरी यात्रा उन्होनें अपनी छोटी बहन और उनके बच्चों के साथ दिल्ली से जम्मू कश्मीर तक की यात्रा की। जहाँ पर वेष्णो देवी मंदिर स्थित था। चौथी यात्रा उन्होंने झारखंड से नेपाल तक की यात्रा की। वह आज भी मेहनत करती और रूपयें इक्ट्ठा करती और नयें नयें मंदिरों और नयी नयी जगहों में घूमने का सपना देखती।

लघु कहानीकार
पंकज मोदक 

My maternal grandfather whose name was Motilal. He lived in Chandaha village located in Jharkhand. He had three daughters. One's name- Sumu, the other's name- Asha and the third's name- Beli. The elder and middle sister were married to two brothers from the same house and the younger sister was married to a young man living in a place called Bhojudih. Even after many years, Asha ji did not have any child. Asha ji treated her elder sister's sons and daughters as her own children and loved them. Asha ji's husband had a serious illness. Due to which they could not survive for many years. Now she was alone. But he did not give up his desire to live and decided to live life well. She started living with her elder sister. He already had a cow. He bought one or two goats. After a few days she started making muri from rice and started selling it. The treasury began to collect the money she got from selling. After many years when she had accumulated enough money, she along with other women went to distant temples to visit and worship. The first journey he traveled from Jharkhand to Tamil Nadu. Where many magnificent temples were located. The second journey he traveled from Jharkhand to Uttar Pradesh. Where a temple named Kashi was situated. On the third trip, he traveled from Delhi to Jammu and Kashmir with his younger sister and their children. Where the Vaishno Devi temple was located. The fourth journey he traveled from Jharkhand to Nepal. She would still work hard and collect money and dream of visiting new temples and new places. 

Short story writer
Pankaj Modak 

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अनजान गांव - Unknown Village

सुनिदा जो कुछ दिनों पहले नयी शिक्षिका बनी। उसके खुशी का ठिकाना न था। वह बेहद खुश थी। परंतु वह जिस विद्यालय में नियुक्त हुई। वह शहर से काफी दूर था। दूसरे दिन। वह अपने पिता का आशीर्वाद लेकर निकल ही रही थी कि उसके पिता ने कहा - बेटी कुछ छुट्टे रूपये ले जाओं। तुम्हारे काम आएंगे। सुनिदा ने कहा - पिताजी बाहर किसी से छुट्टे रूपये ले लुंगी। उसके बाद वह घर से बाहर निकल गई। वह बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वह बस स्टॉप के पास पहुंची। उसने बस पकड़ी और विद्यालय की ओर चल पड़ी। उस विद्यालय के पहले एक अनजान गांव पड़ता हैं। जब सुनिदा ने विद्यालय का नाम स्मार्टफोन के नक्शे पर सर्च किया तो वह आ गया। परंतु विद्यालय से थोड़ी दूर पर स्थित उस अनजान गांव के बारे में नक्शे पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी या शायद किसी ने जानकारी नहीं छोड़ी थी। यह देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। कुछ घण्टे बाद वह बस उस गांव से गुजरने लगीं। सुनिदा ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो उसे थोड़ी घबराहट हुई। उस गांव में कोई दुकान न थी। बाहर बैठे लोग सुनिदा को ही देखें जा रहे थे। जैसै- उन लोगों की नजरें सिर्फ़ सुनिदा पर ही टिकी हुई हो।

कपूर का प्रभाव - Effect Of Camphor

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