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फोड़ा (Tumor)


ईद का त्योहार था‌। एक कसाई जिसका नाम सुलेन था। वह मांस बेच रहा था। उसे अचानक अपने सिर में तेज दर्द होने लगा। कुछ समय बाद किसी तरह वह अपने आप को संभालते हुए आसपास में मौजूद एक अस्पताल में भर्ती हो गया। डॉक्टर ने जब जाँच किया तो पाया कि उसके दिमाग में एक फोड़ा हो चुका है, जो कभी भी फट सकता था। सुलेन ने डॉक्टर से कहा- मुझे करीब छः महीनों से सिर में दर्द था। डॉक्टरों ने कहा- आप इस फॉर्म पर हस्ताक्षर कर दीजिए। हस्ताक्षर करने के बाद ऑपरेशन के दौरान कुछ भी ह़ोने से डॉक्टर जिम्मेदार नहीं होंगे। सुलेन ने सोचा। कुछ भी हो सकता है। उसने अपने जीवन में सो से भी अधिक बकरों को काट दिया था। उसने अंतिम समय में कुछ अच्छा करने के बारे में सोचा। उसने डॉक्टर से कहा- डॉक्टर यदि ऑपरेशन के दौरान में मृत्यु को प्राप्त हो जाऊँ तो मेरे शरीर में मौजूद अंगों को जरूरतमंद लोगों को दे देना। उसने पहले और दूसरे फॉर्म में हस्ताक्षर किया। दूसरा फॉर्म अंग दान का था। ऑपरेशन तो हुआ। परंतु सुलेन बच न सका। डॉक्टरों ने उसके अंगों को जरूरतमंद लोगों के शरीर में लगा दिए।‌ उन अंगों की वजह से कई लोगों की जान बची। सुलेन तो नहीं रहा। परंतु उसके आंखों से कोई और दुनिया देख रहा था तो किसी और के शरीर में उसका हृदय धड़क रहा था। 

लघु कहानीकार

पंकज मोदक 

It was the festival of Eid. A butcher named Sullen. He was selling meat. He suddenly started having severe pain in his head. After some time, he somehow managed to control himself and got admitted to a nearby hospital. When the doctor examined him, he found that an abscess had formed in his brain, which could burst at any time. Sullen told the doctor- I was having headache for about six months. Doctors said- You sign this form. After signing, the doctor will not be held responsible for anything that happens during the operation. Sullen thought. Anything can happen. He had killed more than a hundred goats in his life. He thought of doing something good at the last moment. He said to the doctor - Doctor, if I die during the operation, then give the organs present in my body to the needy people. He signed the first and second forms. The second form was organ donation. The operation took place. But Sullen could not escape. Doctors transplanted his organs into the bodies of needy people. Because of those organs, many people's lives were saved. No more sullen. But someone else was seeing the world through his eyes and his heart was beating in someone else's body.

Short story writer
Pankaj Modak

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अनजान गांव - Unknown Village

सुनिदा जो कुछ दिनों पहले नयी शिक्षिका बनी। उसके खुशी का ठिकाना न था। वह बेहद खुश थी। परंतु वह जिस विद्यालय में नियुक्त हुई। वह शहर से काफी दूर था। दूसरे दिन। वह अपने पिता का आशीर्वाद लेकर निकल ही रही थी कि उसके पिता ने कहा - बेटी कुछ छुट्टे रूपये ले जाओं। तुम्हारे काम आएंगे। सुनिदा ने कहा - पिताजी बाहर किसी से छुट्टे रूपये ले लुंगी। उसके बाद वह घर से बाहर निकल गई। वह बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वह बस स्टॉप के पास पहुंची। उसने बस पकड़ी और विद्यालय की ओर चल पड़ी। उस विद्यालय के पहले एक अनजान गांव पड़ता हैं। जब सुनिदा ने विद्यालय का नाम स्मार्टफोन के नक्शे पर सर्च किया तो वह आ गया। परंतु विद्यालय से थोड़ी दूर पर स्थित उस अनजान गांव के बारे में नक्शे पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी या शायद किसी ने जानकारी नहीं छोड़ी थी। यह देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। कुछ घण्टे बाद वह बस उस गांव से गुजरने लगीं। सुनिदा ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो उसे थोड़ी घबराहट हुई। उस गांव में कोई दुकान न थी। बाहर बैठे लोग सुनिदा को ही देखें जा रहे थे। जैसै- उन लोगों की नजरें सिर्फ़ सुनिदा पर ही टिकी हुई हो।

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