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इलेक्ट्रिक रीत (Electric Reet)


जब एक किन्नर बच्ची का जन्म हुआ तो‌ माता-पिता ने उसका नाम रीत रखा। तब सारे आस-पड़ोस के लोगों ने रीत के माता-पिता को समझाया कि इस बच्चे को किन्नरों को सौंप दो। परंतु उन्होंने उनकी बातों को टाल दिया और उस बच्चे को पालने का फैसला किया। धीरे-धीरे रीत बड़ी होने लगी। उसका दाखिला एक विद्यालय में कराया गया। वह अब छः वर्ष की हो गई थी। कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षक या शिक्षिका रीत को सबसे अलग सबसे आखिरी बेंच पर बिठाते। बच्चे उसका मजाक उड़ाते। कभी-कबार वह रो पड़ती और उसके आँखों से आँसू निकल आते। उसके साथ कोई छात्र या छात्रा बात नहीं करते, न खेलते और न उसके साथ रहते। आये दिन कभी-न-कभी आस-पड़ोस के लोग रीत के माता-पिता को खरी-खोटी सुनाया करते। जिससे वे दुःखी हो जाते। रीत घर आकर रोती हुई। अपने माता-पिता के गले लग जाती। तब उनके माता-पिता रीत का होंसला बढ़ाते। ऐसे ही दिन बीतता चला गया। रीत अब बारह वर्ष की हो गई। रीत अब अपना अधिकांश समय किताब पढ़ने में बिताती। उसे गणित और भौतिकी में विशेष रूची थी। अब किताब ही रीत के दोस्त बन चुके थे। कुछ साल बीत गए। उसने दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई पुरी की। वह अब इंजनियरिंग की पढ़ाई शुरू की? कुछ सालों बाद उसने ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पी.एचडी. की पढ़ाई पूरी की। उसे अब डॉक्टरेट मिल चुकी थी। वह अब डॉ. रीत बन चुकी थी। वह अब छब्बीस वर्ष की हो चुकी थी। वह अब अपना अधिकांश समय कुछ नया बनाने में लगाती। कुछ दिन बीत गए। रीत को इलेक्ट्रिकल रॉकेट बनाने का ख्याल आया। जिससे रॉकेट से प्रदूषण भी न फैले और पर्यावरण प्रदूषण मुक्त रहे। रीत ने रॉकेट का डिजाइन बनाने का तरीका और मॉडल तैयार कर लिया। वह देश के स्पेस अधिकारों के पास गयी। उसने उसके बारे में सारी बात बताई। अधिकारी मान गये। पाँच साल बाद इलेक्ट्रिकल रॉकेट बनकर तैयार हुआ। रॉकेट परीक्षण के दिन बहुत सारे देशवासी परीक्षण देखने आये। रॉकेट को लॉचं किया गया। रॉकेट कुछ दूर उड़ने के बाद वह नीचे गिर गया और ब्लास्ट हो गया। परीक्षण असफल हुआ। रीत को एक प्रकार का झटका सा लगा। अधिकारों ने रीत को खरी-खोटी सुनाकर वहाँ से निकाल दिया। अपनी बच्ची की असफलता के कारण रीत के पिता को एक सदमा सा लगा। उन्हें हृदय घात आया और वे बच न सके। रीत घर आयी तो देखा पिताज़ी अर्थी पर लेटे हुए थे और माँ फूट-फूटकर रो रही थी। रीत के आँखों से आँसू टपकने लगे। एक असफलता का दुःख और दूसरा पिता के मृत्यु का दुःख। दोनों दुःख रीत को साथ-साथ मिल गया। पिता के शरीर का दाह-संस्कार किया गया। रीत अब दुःखी और चिंतित रहने लगी थी। कुछ महीने बीत गए। अब उसकी माँ अपने आपको संभालकर रीत का हौशला बढ़ाती। ऐसे ही दिन बीतते चले गए। एक दिन अधिकारी सी.सी.टी.वी केमरा जाँच कर रहे थे। तभी उन्होनें देखा लालिमा नामक एक इंजीनियर इलेक्ट्रिक्ल रॉकेट से कई सारे मशीन निकाल रही थी। अधिकारों को पता चल गया कि रॉकेट का परीक्षण सफल क्यों नहीं हुआ। अधिकारी अपनी गलती पर पछताते हुए। रीत के पास गये। उन्होंने रीत से माफी मांगी और सारी बात बताई। अधिकारों ने रीत से कहा- कृपया आप फिर से इलेक्ट्रिल रॉकेट बनाए। रीत मान गयी। कुछ साल बाद रीत ने फिर से एक इलेक्ट्रिकल रॉकेट बनाया। परीक्षण देखने इस बार भी लोग आये। रॉकेट को लॉच किया गया। रॉकेट सफलता पूर्वक उड़ी। परीक्षण सफल हुआ। हर तरफ रीत का नाम होने लगा। सभी देशवासी अब रीत को इलेक्ट्रिक रीत कहकर पुकार रहे थे। जो लोग उनकी माँ को खरी-खटी सुनाते थे। आज वे लोग उनका सम्मान कर रहे थे।। इस सफलता की घड़ी में रीत के पिता रीत के साथ न थे। रीत ने आसमान की ओर देखकर मन-ही-मन कहा - मिसिंग यू डाड।

लघु कहानीकार
पंकज मोदक 

When a eunuch girl was born, the parents named her Reet. Then all the people of the neighborhood explained to Reet's parents to hand over this child to eunuchs. But he avoided their words and decided to raise that child. Slowly the custom started to grow. He was enrolled in a school. She was now six years old. The teacher or teacher teaching in the class used to make Reet sit on the last bench separately. The kids would make fun of him. Sometimes she would cry and tears would come out of her eyes. No male or female student would talk to him, play with him, or stay with him. One day or the other, the people of the neighborhood used to taunt Reet's parents. Due to which they become sad. Reet came home crying. Would have hugged her parents. Then their parents would encourage Reet. Days passed like this. Reet is now twelve years old. Reet now spent most of her time reading a book. He had a special interest in mathematics and physics. Now books had become friends of Reet. Few years passed. He completed his 10th, 11th and 12th standard. He started studying engineering now? After a few years, he completed his graduation, post graduation and Ph.D. completed his studies. He had got his doctorate now. She had now become Dr. Reet. She was now twenty-six years old. She now spends most of her time creating something new. Few days passed. Reet got the idea of making an electrical rocket. So that pollution from the rocket does not spread and the environment remains pollution free. Rit prepared the model and method of designing the rocket. That went to the country's space rights. He told everything about her. The officers agreed. After five years the electrical rocket was ready. On the day of the rocket test, many countrymen came to see the test. The rocket was launched. After flying some distance, the rocket fell down and exploded. Test failed. Reet got a jolt of sorts. The rights expelled Rit from there after telling him the truth. Reet's father got a shock due to the failure of his daughter. He suffered a heart attack and could not survive. When Reet came home, she saw that father was lying on the bier and mother was crying bitterly. Tears started dripping from Reet's eyes. One is the sorrow of failure and the other is the sorrow of father's death. Both sorrows and rituals got together. The body of the father was cremated. Reet was now feeling sad and worried. Few months passed. Now his mother would take care of herself and encourage Reet. Days passed like this. One day the officers were checking the CCTV cameras. Only then he saw an engineer named Lalima extracting many machines from the electrical rocket. The authorities find out why the test of the rocket was not successful. Officer regretting his mistake. Went to Reet. He apologized to Reet and told the whole thing. Rights said to Reet - Please make electric rocket again. Reet has been accepted. A few years later, Reet again made an electrical rocket. This time also people came to see the test. The rocket was launched. The rocket took off successfully. Test successful. The name of the ritual started being mentioned everywhere. All the countrymen were now calling Reet as Electric Reet. Those who used to narrate the truth to their mother. Today they were respecting him. Reet's father was not with Reet in this moment of success. Looking at the sky, Reet said in her mind – Missing you dad.

Short story writer
Pankaj Modak 

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अनजान गांव (Unknown Village)

सुनिदा जो कुछ दिनों पहले नयी शिक्षिका बनी। उसके खुशी का ठिकाना न था। वह बेहद खुश थी। परंतु वह जिस विद्यालय में नियुक्त हुई। वह शहर से काफी दूर था। दूसरे दिन। वह अपने पिता का आशीर्वाद लेकर निकल ही रही थी कि उसके पिता ने कहा - बेटी कुछ छुट्टे रूपये ले जाओं। तुम्हारे काम आएंगे। सुनिदा ने कहा - पिताजी बाहर किसी से छुट्टे रूपये ले लुंगी। उसके बाद वह घर से बाहर निकल गई। वह बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वह बस स्टॉप के पास पहुंची। उसने बस पकड़ी और विद्यालय की ओर चल पड़ी। उस विद्यालय के पहले एक अनजान गांव पड़ता हैं। जब सुनिदा ने विद्यालय का नाम स्मार्टफोन के नक्शे पर सर्च किया तो वह आ गया। परंतु विद्यालय से थोड़ी दूर पर स्थित उस अनजान गांव के बारे में नक्शे पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी या शायद किसी ने जानकारी नहीं छोड़ी थी। यह देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। कुछ घण्टे बाद वह बस उस गांव से गुजरने लगीं। सुनिदा ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो उसे थोड़ी घबराहट हुई। उस गांव में कोई दुकान न थी। बाहर बैठे लोग सुनिदा को ही देखें जा रहे थे। जैसै- उन लोगों की नजरें सिर्फ़ सुनिदा पर ही टिकी हुई हो।

कपूर का प्रभाव (Effect Of Camphor)

मेरे पिताजी जिनका नाम शंकर था। उनका जन्म भारत देश के एक छोटे से गाँव चन्दाहा मे हुआ था। शंकर जी के पिताजी विजय जी बी. सी.सी.एल में कार्यरत थे। शंकर जी जब बारह वर्ष के थे। विजय जी नशे में धुत होकर आते और शंकर जी के माताजी सुमु देवी को काफी मारते-पीटते। यह देखकर शंकर जी उदास हो जाते थे। शंकर जी का एक दोस्त है- जिसका नाम नारायण था। वे एक ही कक्षा में थे और एक साथ पढ़ाई करते थे । उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में 10वीं पास की। उस समय चन्दाहा गाँव में गाड़ी की सम्भावना ना के बराबर थीं । उन दोनों ने, चास नामक प्रखंड के एक कॉलेज में नामांकण कराया। कॉलेज में कार्य पड़ने पर उन दोनों को 15 किलोमीटर पैदल चलकर वहाँ पहुँचन पड़ता था। शंकर जी के पाँच बहनें थीं। जो उनसे उम्र में बड़ी थी। उस समय चन्दाहा के आस-पास कोई कॉलेज न था। गाँव में बेलगाड़ी की सुविधा थी । परंतु उतने दूर न जाती थी। उन्होनें 18 वर्ष की उम्र में 12वीं की की परीक्षा उत्तीर्ण किया। अब वे दोनों पटना के एक विश्वविद्यालय में बी० ए० का नामांकण कराये । शंकर जी के पिताजी कभी - कबार ही काम पर जाया करते थे। बाकि दिन नशे में धुत रहते थे । इसलिए वे बहु

विलुप्त जीव (Extinct Creatures)

पृथ्वी पर हरियाली छाई हुई थी। रोज की तरह लोग अपने‌ काम में जा रहे थे, आ रहे थे। एक दिन प्रसिद्ध विज्ञान संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की। जिसमें लिखा था - पेड़ों की संख्या हर वर्ष कम होती जा रही है। जिससे ओजोन परत की क्षति, वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है कि पेड़ अधिक से अधिक लगाएं और मनुष्य जीवन को बचाएं। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद बहुत लोगों ने इसे झूठ समझकर भूल गए, तो कुछ लोगों ने इसे सच मानकर थोड़े डर गए। कुछ दिनों बाद एक व्यक्ति अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा था। उसने वह रिपोर्ट पढ़ी। उसने मनुष्य जीवन की अच्छाई के लिए कुछ करने की सोची। वह प्रतिदिन एक पेड़ को रोपता। पानी देता और उस पौधे को देखकर उसका मन खुशी से खिल उठता। वह वर्ष में एक बार जगह-जगह जाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने, वायू प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने, पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल कम करने के बारे में लोगों को जागरूक करने की कोशिश करता। एक रात उस व्यक्ति के मन में एक ख्याल आया कि क्यों न चिड़ियाघरों में पिंजरों में बंद जीव-जंतुओं को आजाद किया जाए। ज